निगाहें भरी आँसुओं से हैं तो क्या
धुआँ ख़ून के उबालों में भी है
चैन ओ अमन की दरकार है हमें भी
सड़क पर लेकिन रक्त का दरिया भी है
बैठ कर चुस्की लेना है हमें भी चाय की
पर दहलीज़ पर दुश्मन की धमकार भी है
प्यारी है मुझे भी तान वीणा के तारों की
पर सरहद पर गोलियों की झनकार भी है
है पिता बीमार घर पर मेरे भी
पर सामने दुश्मन की ललकार भी है
माँ बाट जोह रही मेरी जाने कब से
पर कानों में गूंजती धरती की पुकार भी है
निशब्द पत्नी आलिंगन को तरसती मेरे
पर बदन पे मेरे बारूद की खुरचन भी है
बच्चों को खेलना है मेरे साथ खिलोने
पर मैदान में मेरे गरजती बंदूकें भी हैं
हूँ सैनिक मैं इस देश का
रक्तबीज है खूँ का हर कतरा मेरा
हूँगा शहीद मैं तो अब जब भी
दुश्मन की चीत्कार ही हर तरफ होगी
तिरंगा चूमने को जाएगा जब बदन मेरा
पहले दुश्मन की गर्दन धड़ से अलग होगी
मेरे मरने का गम न करना कभी तुम
मेरी मौत से पहले शत्रु की रूह भी फ़ना होगी।